Rajesh Saini

लोग हमसे मिल के क्या ले जायेंगे?
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।

Friday, December 10, 2010

कोई पैगाम ही लिख दो

चलो आज तुम कोई पैगाम ही लिख दो तुम एक गुमनाम हो यही लिख दो I
मेरी किस्मत मे इंतज़ार हैं लेकिन यार अपनी पुरी उम्र ना लिखो बस अपनी ज़िन्दगी की एक शाम ही लिख दो I
ज़रूरी नही मिल जाए सुकून हर किसी को बैचैनियो की एक किताब मेरे नाम भी लिख दो I
जानता हूँ तेरे जाने के बाद मुझे तनहा ही रहना हैं पुरा दिन ना सही एक पल ही मेरे नाम लिख दो I
चलो हम मानते हैं सज़ा के काबिल हैं हम कोई इनाम ना लिखो तो कोई इल्जाम ही लिख दो I

1 comment:

Rajnish Rao said...

itna bechain kyun hai likhwane ke liye.