आदमी की ख्वाहिशें
उसे जंग के मैदान पर ले जातीं हैं
कभी दौलत के लिए
कभी शौहरत के लिए
कभी औरत के लिए
मरने-मारने पर आमादा आदमी
अपने साथ लेकर निकलता है हथियार
तो अक्ल भी साथ छोड़ जाती है
ख्वाहिशों के मकड़जाल में
ऐसा फंसा रहता आदमी जिंदगी भर
लोहे-लंगर की चीजों का होता गुलाम
जो कभी उसके साथ नहीं जातीं हैं
जब छोड़ जाती है रूह यह शरीर
तो समा जाता है आग में
या दफन हो जाता कब्र में
जिन चीजों में लगाता दिल
वह भी कबाड़ हो जातीं हैं
ख्वाहिशें भी एक शरीर से
फिर दूसरे शरीर में घर कर जातीं हैं
.................................
ख्वाहिशों में अपना दिल न लगाओ
वह कभी यहां तो कभी वहां नजर आतीं हैं
एक जगह हो जाता है काम पूरा
दूसरी जगह नाच नचातीं हैं
किसी को पहुंचाती हैं शिखर पर
किसी को गड्ढे में गिरातीं हैं
Rajesh Saini
लोग हमसे मिल के क्या ले जायेंगे?
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
Friday, November 7, 2008
अपने दिल को कहाँ बहलाएँ हम-हिंदी शायरी
मन जिधर ले जाये उधर ही हम
रास्ते में अंधेरा हो या रौशनी
हम चलते जायें पर रास्ता
होता नही कभी कम
अपनी ओढ़ी व्यग्रता से ही
जलता है बदन
जलाने लगती है शीतल पवन
महफिलों मे रौनक बहुत है
पर दिल लगाने वाले मिलते है कम
जहां बजते हैं
भगवान् के नाम पर बजते हैं जहाँ ढोल
वहीं है सबसे अधिक होती है पोल
अपने दिल को कहां बहलाएं हम
रास्ते में अंधेरा हो या रौशनी
हम चलते जायें पर रास्ता
होता नही कभी कम
अपनी ओढ़ी व्यग्रता से ही
जलता है बदन
जलाने लगती है शीतल पवन
महफिलों मे रौनक बहुत है
पर दिल लगाने वाले मिलते है कम
जहां बजते हैं
भगवान् के नाम पर बजते हैं जहाँ ढोल
वहीं है सबसे अधिक होती है पोल
अपने दिल को कहां बहलाएं हम
खुशी हो या गम-हिंदी शायरी
अपनी धुन में चला जा रहा था
अपने ही सुर में गा रहा था
उसने कहा
‘तुम बहुत अच्छा गाते हो
शायद जिंदगी में बहुत दर्द
सहते जाते हो
पर यह पुराने फिल्मी गाने
मत गाया करो
क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर
किसी को रोना नहीं आयेगा
क्यों नहीं नये गाने गाते
शोर सुनकर लोगों के
हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा
ऐसे ही आंसू बहाने लगेंगे
समझ में कुछ नहीं आयेगा
तुम्हारें अंदर खुशी हो या गम
उसे बेचने का काम शुरू कर दो
क्यों कमाने से हाथ धोये जाते हो
...........................
अपने ही सुर में गा रहा था
उसने कहा
‘तुम बहुत अच्छा गाते हो
शायद जिंदगी में बहुत दर्द
सहते जाते हो
पर यह पुराने फिल्मी गाने
मत गाया करो
क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर
किसी को रोना नहीं आयेगा
क्यों नहीं नये गाने गाते
शोर सुनकर लोगों के
हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा
ऐसे ही आंसू बहाने लगेंगे
समझ में कुछ नहीं आयेगा
तुम्हारें अंदर खुशी हो या गम
उसे बेचने का काम शुरू कर दो
क्यों कमाने से हाथ धोये जाते हो
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