Rajesh Saini

लोग हमसे मिल के क्या ले जायेंगे?
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।

Thursday, October 9, 2008

मांगन ते मरना भला

मांगन ते मरना भला मत कोई मांगो भीख

लगता है कि भीख मांगना भारत में सबसे आसान धंधा है । किसी भी साधारण स्वस्थ सा दिखने वाले व्यक्ती को सिर्फ माथे पर साफानुमा कपडा बांधने और धोती कुर्ता पहनते ही जेसे भीख मांगने का लाईसेंस मिल जाता है । अब कोई भीखारी हरे रंग के वस्त्रों का प्रयोग करे या केसरिया रंग का आखिर वह खेल तो रहा ही होता है हमारी आस्था के साथ ही । धर्म के नाम पर हम सभी रोजाना कितने बेवकूफ बन रहे हैं ।

विश्वास नहीं आता तो अपने शहर में किसी भी दुकान पर जा कर बैठिये कुछ मिनट और देखिये की कितने कम समय में तरह तरह के अलग भेस बनाए भीखारी आ जा रहे होते हैं । जगह जगह भीखारी और भीख का यह धन्धा जेसे इन लोगों के लिए खेल बन चुका है । कोई लाचार या अपंग व्यक्ती अगर कुछ मांग रहा है तो ठीक है पर हट्टे कट्टे और स्वस्थ से दिखने वाले लोग जब भीख मांगते नजर आते हैं तो बडा बुरा लगता है । एसा लगता है अभी इसको दो चार भजन सुना दिए जाए । पर इस से होगा क्या ? कुछ नहीं ।

क्यों कि हम उन को कुछ काम धंधे पर लगा नहीं सकते, पता नहीं कौन हे, कहां से आया है, अपने कहने मात्र से कोई इसको नौकरी पर रख ले और ये उसका माल ले कर चंपत हो जाए तो अपनी तो लग गई ना वाट । इस कारण से ही शायद हम किसी की मदद करने के लिए हाथ नहीं बढ़ाते । शायद कबीर ने लिखा है कि “मांगन ते मरना भला” पर यह बात कोई समझता ही नहीं, कोई वेसे ही खाली पीली दिन के सौ दो सौ रुपये कूट रहा हो तो वह मेहनत का काम क्यों करेगा, यह भी तो सोचने वाली बात है ।

सरकार तो चाहे तो भी इन भिखारियों का कुछ नहीं कर सकती है, रोजगारपरक कार्यशालाएं वगेरह चलाएं तो भी इनको क्या । बसने के लिए छत दे भी दे तो ये अपना भीख का काम नहीं छोड सकते । मंदिर जेसी कई जगहों पर अक्सर भिखारी आने जाने वाले लोगों पर टोंड कसने से भी नहीं चूकते जेसेः “बडे आये सेठ कहीं के, इस पवित्र तीर्थ पर आकर भी धर्म नहीं करे तो ये कहां के सेठ” ।

कोई कोई भिखारी अजीब सा स्वांग बना कर आते हें, और भीख ना देने पर किसी भी दुकानदार या रास्ते चलते व्यक्ती को जोर जोर से गालियां या देने लग जाते हैं इससे इनडाइरेक्टली होता क्या है कि बाजार के दूसरे लोग या दुकानदार सतर्क हो जाते हैं कि यदि इस भिखारी को भीख ना दी तो अपनी दुकान के बाहर भी यह भिखारी एसा ही हंगामा खडा कर देगा, लिहाजा उसे हर जगह से बडी कमाई हो जाती है । यही तरीका हिजडे भी इख्तीयार करते हैं अक्सर । काश भारत में कोई टोल फ्री नंबर होता, जहां फोन करते ही कोई कंपनी या समूह विशेष तत्काल दो मिनट में आते, और इस तरह के भिखारी को साथ ले जाते, और कुछ प्रशिक्षण दे कर कमाने खाने के लायक बना देते ।

इसी तरह से कुछ और भी स्टेन्डर्ड भिखारी समूह भी हो गए हैं जो चन्दे के नाम पर ये कारोबार करते हैं कुछ लोग या समूह मोटे मोटे मुस्टंडों के साथ जाते हैं और चंदे की रसीद फाडने के लिए कहते है, अगर कोई पर्याप्त चंदा ना दे तो उसे संकेत देते हैं कि आपका काम हमारे से ही पडना है और हम भी देख लेंगे वगैरह । तो एसा हाल है हमारे शहरों में …………..

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