कुछ लोग ऐसे भी होते हैं
उनके जख्म पर लगाओं मरहम
वह फिर भी दिल में बदनीयती और
बुरे इरादे लिये होते हैं
लेते हैं अच्छा नाम
केवल लोगों को दिखाने के लिये
दिल में जमाने को लूटने के
उनके अरमान होते हैं
शरीर का इलाज तो किया जा सकता
पर उनको दवा देना है बेकार
जिनके दिल में खोटी नीयत और
बेईमानी के रोग लाइलाज होते हैं
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शादी से पहले
होते हैं आशिक और माशुका
बाद में बन जाते हैं मियां-बीवी
इश्क हो जाता है हवा
दुनियांदारी इसी का नाम है
जब जरूरतों की जंग
घर को बना देती है टीवी
Rajesh Saini
लोग हमसे मिल के क्या ले जायेंगे?
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
Friday, October 10, 2008
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