मन जिधर ले जाये उधर ही हम
रास्ते में अंधेरा हो या रौशनी
हम चलते जायें पर रास्ता
होता नही कभी कम
अपनी ओढ़ी व्यग्रता से ही
जलता है बदन
जलाने लगती है शीतल पवन
महफिलों मे रौनक बहुत है
पर दिल लगाने वाले मिलते है कम
जहां बजते हैं
भगवान् के नाम पर बजते हैं जहाँ ढोल
वहीं है सबसे अधिक होती है पोल
अपने दिल को कहां बहलाएं हम
Rajesh Saini
लोग हमसे मिल के क्या ले जायेंगे?
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
सिर्फ़ जीने के अदा ले ले जाएँगे
दो घड़ी बैठेंगे तेरे पास हम
और बातो का मजा ले जाएँगे ।
Friday, November 7, 2008
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